Monday 12 December 2016

Hindi Poem for Life Journey (जिन्दगी का सफ़र)


01
जिन्दगी का सफ़र सुख और दुःख का सफ़र है,
इसे कोई समझा नहीं कोई जान नहीं |

02
जिन्दगी खुल कर जीने का नाम है,
ईस पल ये है, उस पल नहीं कौन जाने |

03
जिन्दगी का सफ़र कोई आसां नहीं,
पल-पल यहाँ बदलते हैं किस्मत,
धूप और छवों की तरह |

04
जिन्दगी के डगर में हैं रोड़े अनेकों,
मगर जो हिम्मत करता है ,
उसी को मिलती है मंजिल यहाँ पर |

05
जिन्दगी के कष्ट से जो टकराता है,
उसी को उसको जीने का मजा आता है |

06
मैंने जिन्दगी से डरना सिखा नहीं,
डरने से कष्ट थोड़े ना कम हो जाता है |

07
जिन्दगी जिन्दा दिली का नाम है,
जिन्दगी के कष्ट से जो टकराया वहीं सच्चा इंसान है |

08
जिन्दगी के संकट से जो लोहा लिया,
वही असली ख़ुशी इंसान है |

09
जिन्दगी के परेशानियों को जो हंस कर पचाया,
वही खुश होकर जीने का हकदार है |

10
जिन्दगी के दुःख से घबराना क्यों,
दुःख के बाद हीं तो सुख का सबेरा है |

11
जिन्दगी में जो होना है, ओ होकर रहेगा,
फिर चिल्ला-चिल्ला कर रोने का काम क्यों |

12
खाली हाँथ आये थे, खाली हाँथ जायेंगे,
फिर भागमभाग का काम क्या |

13
जिन्दगी के परेशानियों को जो धूल चटाएगा,
उसे फिर किसी का आस क्यों |

14
निडर के आगे झुकतें हैं भगवान् भी,
फिर इंसान की अव्कात क्या |

15
निडर हीं लीडर है,
डरपोंक हीं भिलेन है |

16
निडर के आगे कोई टिकता नहीं,
डरपोक के आगे कोई झुकता नहीं |

17
निडर हीरो है,
डरपोंक जीरो है |

18
कार्य करने से समस्या टिकता नहीं,
आलस्य के सामने सफलता टिकता नहीं |

19
कर्म हीं धर्म है,
धर्म का आडम्बर हीं, कुक्कर्म है |

20
लालसा हीं अंत है,
संतोश हीं जिन्दगी है |

21
असफलता का उपचार हीं,
सफलता का प्रचार है |

22
मन हीं बुद्धि और बुद्धि हीं मन है,
फिर तूं-तूं मैं-मैं का क्या काम है |

23
जाने के बाद हीं तो आना है,
फिर जाने से क्यों डरने का काम है |

24
अभाव में हीं तो सारे जहाँ का भाव है,
फिर भी अभाव से घबड़ाने का क्या काम है |

25
सब एक है,
फिर सब क्यों अनेक है |

26
मिल जाये की आश है,
फिर क्यों तू निराश है |

27
आने की आश है,
फिर जाने से क्यों निराशा है |

28


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