01
जिन्दगी का सफ़र सुख और दुःख का सफ़र है,
इसे कोई समझा नहीं कोई जान नहीं |
02
जिन्दगी खुल कर जीने का नाम है,
ईस पल ये है, उस पल नहीं कौन जाने |
03
जिन्दगी का सफ़र कोई आसां नहीं,
पल-पल यहाँ बदलते हैं किस्मत,
धूप और छवों की तरह |
04
जिन्दगी के डगर में हैं रोड़े अनेकों,
मगर जो हिम्मत करता है ,
उसी को मिलती है मंजिल यहाँ पर |
05
जिन्दगी के कष्ट से जो टकराता है,
उसी को उसको जीने का मजा आता है |
06
मैंने जिन्दगी से डरना सिखा नहीं,
डरने से कष्ट थोड़े ना कम हो जाता है |
07
जिन्दगी जिन्दा दिली का नाम है,
जिन्दगी के कष्ट से जो टकराया वहीं सच्चा इंसान है |
08
जिन्दगी के संकट से जो लोहा लिया,
वही असली ख़ुशी इंसान है |
09
जिन्दगी के परेशानियों को जो हंस कर पचाया,
वही खुश होकर जीने का हकदार है |
10
जिन्दगी के दुःख से घबराना क्यों,
दुःख के बाद हीं तो सुख का सबेरा है |
11
जिन्दगी में जो होना है, ओ होकर रहेगा,
फिर चिल्ला-चिल्ला कर रोने का काम क्यों |
12
खाली हाँथ आये थे, खाली हाँथ जायेंगे,
फिर भागमभाग का काम क्या |
13
जिन्दगी के परेशानियों को जो धूल चटाएगा,
उसे फिर किसी का आस क्यों |
14
निडर के आगे झुकतें हैं भगवान् भी,
फिर इंसान की अव्कात क्या |
15
निडर हीं लीडर है,
डरपोंक हीं भिलेन है |
16
निडर के आगे कोई टिकता नहीं,
डरपोक के आगे कोई झुकता नहीं |
17
निडर हीरो है,
डरपोंक जीरो है |
18
कार्य करने से समस्या टिकता नहीं,
आलस्य के सामने सफलता टिकता नहीं |
19
कर्म हीं धर्म है,
धर्म का आडम्बर हीं, कुक्कर्म है |
20
लालसा हीं अंत है,
संतोश हीं जिन्दगी है |
21
असफलता का उपचार हीं,
सफलता का प्रचार है |
22
मन हीं बुद्धि और बुद्धि हीं मन है,
फिर तूं-तूं मैं-मैं का क्या काम है |
23
जाने के बाद हीं तो आना है,
फिर जाने से क्यों डरने का काम है |
24
अभाव में हीं तो सारे जहाँ का भाव है,
फिर भी अभाव से घबड़ाने का क्या काम है |
25
सब एक है,
फिर सब क्यों अनेक है |
26
मिल जाये की आश है,
फिर क्यों तू निराश है |
27
आने की आश है,
फिर जाने से क्यों निराशा है |
28
जिन्दगी का सफ़र सुख और दुःख का सफ़र है,
इसे कोई समझा नहीं कोई जान नहीं |
02
जिन्दगी खुल कर जीने का नाम है,
ईस पल ये है, उस पल नहीं कौन जाने |
03
जिन्दगी का सफ़र कोई आसां नहीं,
पल-पल यहाँ बदलते हैं किस्मत,
धूप और छवों की तरह |
04
जिन्दगी के डगर में हैं रोड़े अनेकों,
मगर जो हिम्मत करता है ,
उसी को मिलती है मंजिल यहाँ पर |
05
जिन्दगी के कष्ट से जो टकराता है,
उसी को उसको जीने का मजा आता है |
06
मैंने जिन्दगी से डरना सिखा नहीं,
डरने से कष्ट थोड़े ना कम हो जाता है |
07
जिन्दगी जिन्दा दिली का नाम है,
जिन्दगी के कष्ट से जो टकराया वहीं सच्चा इंसान है |
08
जिन्दगी के संकट से जो लोहा लिया,
वही असली ख़ुशी इंसान है |
09
जिन्दगी के परेशानियों को जो हंस कर पचाया,
वही खुश होकर जीने का हकदार है |
10
जिन्दगी के दुःख से घबराना क्यों,
दुःख के बाद हीं तो सुख का सबेरा है |
11
जिन्दगी में जो होना है, ओ होकर रहेगा,
फिर चिल्ला-चिल्ला कर रोने का काम क्यों |
12
खाली हाँथ आये थे, खाली हाँथ जायेंगे,
फिर भागमभाग का काम क्या |
13
जिन्दगी के परेशानियों को जो धूल चटाएगा,
उसे फिर किसी का आस क्यों |
14
निडर के आगे झुकतें हैं भगवान् भी,
फिर इंसान की अव्कात क्या |
15
निडर हीं लीडर है,
डरपोंक हीं भिलेन है |
16
निडर के आगे कोई टिकता नहीं,
डरपोक के आगे कोई झुकता नहीं |
17
निडर हीरो है,
डरपोंक जीरो है |
18
कार्य करने से समस्या टिकता नहीं,
आलस्य के सामने सफलता टिकता नहीं |
19
कर्म हीं धर्म है,
धर्म का आडम्बर हीं, कुक्कर्म है |
20
लालसा हीं अंत है,
संतोश हीं जिन्दगी है |
21
असफलता का उपचार हीं,
सफलता का प्रचार है |
22
मन हीं बुद्धि और बुद्धि हीं मन है,
फिर तूं-तूं मैं-मैं का क्या काम है |
23
जाने के बाद हीं तो आना है,
फिर जाने से क्यों डरने का काम है |
24
अभाव में हीं तो सारे जहाँ का भाव है,
फिर भी अभाव से घबड़ाने का क्या काम है |
25
सब एक है,
फिर सब क्यों अनेक है |
26
मिल जाये की आश है,
फिर क्यों तू निराश है |
27
आने की आश है,
फिर जाने से क्यों निराशा है |
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